LAUKI KI DAVA | लौकी की खेती कब करे की 10000 पर बिस्सा

आप हमारे पोस्ट को एक बार जरुर पढिये क्युकी इसमें बताई गई सभी जानकारी हमने खुद प्रयोग की है हम LAUKI KI DAVA तथा लौकी की खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी देंगे जैसे लौकी की खेती कब करे ,लौकी की खेती कैसे करे तथा बरसात में लौकी की खेती कैसे करे,LAUKI ME KAUN SI DAVA DALE

Lauki Ki Kheti (लौकी की खेती)LAUKI KI DAVA

लौकी की खेती एक बहुत ही अच्छी खेती है इसमें हम बहुत ही फायदा कमा सकते है और इसमें मेहनत भी कम रहती है तथा इसे काट कर बेचना भी बहुत आसान होता है क्योकि लौकी को हम एक दिन छोड़ कर काटते है और लगभग उतना ही काटते है जितना की एक दिन पहले काटा था जिससे हमें बहुत फायदा होता है और हमें रोजाना ही पैसे मिलते है

लौकी बरसात की हो और टेना पर हो तो सायद 10000 से जादा ही कमा लेंगे क्युकी बरसात में सभी लोग लौकी नहीं बचा सकते पानी से गल जाती है |

लौकी के लिए बिज का चुनाव

लौकी के लिए हमें हाइब्रिड बिज का ही चुनाव करना चाहिये क्योकि हाइब्रिड बिज की पैदावार भी अच्छी होती है और इसमें रोगों से लडने की छमता भी जादा होती है |

हम कोई भी बिज बाजार से खरीदे तो उसे एक बार जमाकर प्रयोग कर लेना चाहिए की उस बिज का जमाव कैसा है और उसकी पैदावार कैसी है या जब आप को कोई नया बिज बोना है तो उस बिज को कम बोये पुराने वाले बिज के साथ बोये

जैसे 1 बिज पुराना वाला 1 बिज नया वाला जिससे अगर आपका बिज नया बिज खराब भी निकले तो कोई बात नहीं पुराना वाला बिज उसकी जगह ले लेगा | बस आपकी थोड़ी मेहनत जादा हो जाएगी लेकिन तब भी नये वाले बिज को कम ही बोये |

लौकी बोने का समय

लौकी की खेती लगभग सभी मौसमो में की जाती है ठण्ड के मौसम में बहुत कम की जाती है क्योकि ठण्ड से लौकी का गावा नहीं बढ़ता है और पैदावार भी कम होती है

हमें गर्मी में लौकी की खेती करनी चाहिए जिसे जनवरी या फरवरी में इसकी बुआई कर देनी चाहिए जो की गर्मी के सुरुआत में फलेगी हम जनवरी तथा फरवरी में भी कर सकते है जो कि बरसात के अंत तक फलेगी

हमें बरसात की खेती करने के लिए जुलाई या अगस्त में बुआई करनी चाहिए जो की टेना पे की जाती है या जहा पानी न लगे वहा की जाती है |  

लौकी के लिए खेत तैयार करना

लौकी की खेती खेती करने वाली ही जमीन पे करनी चाहिए जो की उपजाऊ हो तथा ना ही उसड हो ना ही पथरीली हो | लौकी के लिए हमें अपने खेत की मिटटी भुरभुरी होनी चाहिए और खेत में उपयुक्त नमी भी होना अवश्यक है उसके लिए हमें अपने खेत को 2 से 3 बार नौहरे से जोतवाना चाहिए उसके बाद हमें 1 बार रोतेवेटर से जोतवाना चाहिए जिससे हमारे खेत की मिटटी भुरभुरी हो जाएगी और नमी भी बरक़रार रहेगी |

लौकी के बोने का तरीका

लौकी बोने के लिए हमें खेत को क्यारियों में बाट देना चाहिए गर्मी के मौसम में क्यारी की चौड़ाई लगभग 12 से 13 फुट होती है तथा बरसात में 14 से 15 फुट होती है क्योंकी गर्मी में गावा कम बढ़ता है तथा बरसात में गवा जादा बढता है हमें क्यारी के बिच में फावड़े से एक नाली बनानी है उसके बाद उसमे गोबर की खाद डाले तथा डाई और सल्फर मिला के नाली में गिरा देनी चाहिए इसके बाद नाली को कुदाल से गोड दे जिससे खाद मिल जाएगी |

उसके बाद उसमे कुदाल से एक घुच्ची (लाइन) मारनी है इस प्रक्रिया को गर्मी में करे | गर्मी के समय में लौकी 7 से 9 इंच की दुरी पर बोते है उसके बाद हमें घुच्ची (लाइन) को तोप कर समतल देना चाहिए तथा बरसात में मेड बना के उसपे लौकी को बोये (गाड़े) लौकी गाड़ने की दुरी लगभग 9 से 11 इंच की दुरी पर रहनी चाहिए |

पानी की सिचाई

अगर आप के खेत में नमी है तो लौकी अपने आप ही कुछ दिनों में अंकुरित होके ऊपर निकल जाएगी जब सभी बिज बाहर निकल जाये तब आप लौकी के निकलने के 3 से 4 दिन बाद पानी भरेंगे | अगर खेत में नमी न हो तो पानी 2 से 3 दिन बाद ही पानी भर दे लेकिन पानी जितना हो सके कम से कम भरे और हम पानी सिर्फ बनाइ गई नाली में ही भरे इससे पानी का बचाव होगा |

जब गावा बढकर तैयार हो जायेगा और क्यारी में फ़ैल जायेगा तब हमें पूरी क्यारी में पानी भरना होगा नहीं तो गावा सुखाने लगता है | हम चाहे तो हमारे क्यारी में जो खाली खेत है उसमे पालक या मुली बो सकते है जब तक लौकी का गावा बढ़कर तैयार होगा तब तक पालक या मुली ख़तम हो जायेगा | इससे हम एक साथ दो खेती का फायदा उठा सकते है |

लौकी में खरपतवार से नियंत्रण

लौकी की क्यारियों में जब पालक या मुली ख़तम हो जाये तो उस क्यारी में बनी नाली को कोड दे या ट्रेक्टर से जोतवा कर समतल करा दे जिससे घास तथा खरपतवार ख़तम हो जायेगा फिर उसके गावा को पूरी क्यारी में फैला दे | कुछ लोग खाली खेत में घास की दवा मर कर फैला देते है इससे गावा का विकाश पूरी तरह नहीं हो पाता है |

लौकी में लगने वाले रोग

लौकी में बहुत से रोगों से बचाव करना पड़ता है जैसे लौकी में एक लाल गोल सा उड़ने वाला किट सबसे पहले लगते है जो हमारे पत्तियों की खा जाते है ये जब पौधा छोटा होता है तब लगते है इसके बाद ढोल लगते है तथा जब पेड़ थोडा बड़ा होने लगता है तब पेड़ अपने अप सुखाने लगता है इसके बाद जब पेड़ फलने लगता है

तब लौकी के फल में एक लाल लाल सा दिखता है ये भी एक रोग है कई बार तो छोटे छोटे डोले लगे होते है घबराए मत इन सब की दवा आपको बाजारों में आसानी से  मिलती है दवाये समय समय बदली जाती है और इनकी छमता भी अलग अलग होती है | हमें सुरुआत में हलकी दावा का उपयोग करना चाहिए उसके बाद हमें तगड़ी दावा उपयोग करना चाहिय |

लौकी को काटने का तरीका

लौकी को हमें उसकी डंठल सहित काटना चाहिए जिससे लौकी को पकड़ने में परेशानी नहीं होगी और लौकी में रगड़ नहीं पड़ेगी लौकी जब माध्यम साइज की रहे तब ही काट लेना चाहिए जिससे बाजार में बिकने में कोई परेशानी न होए हमें लौकी को एक दिन बाद काट लेना चाहिए नहीतो लौकी जादा बड़ी हो जाएगी | हमें लौकी को सम्हाल के रखना चाहिए क्योंकी लौकी बहुत नाजुक होती है अगर लौकी पर रगड पद जाएगी तो देखने में अच्छी नहीं लगेगी और बेचने में परेशानी होगी |

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