< कर्ण की कितनी पत्नी थी || दानवीर कर्ण का अंतिम दान क्या था - KISHAN JAGRAN

कर्ण की कितनी पत्नी थी || दानवीर कर्ण का अंतिम दान क्या था

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कर्ण के बारे में

कर्ण (साहित्य-काल) महाभारत (महाकाव्य) के महानायक है। कर्ण और पांडवों के जीवन पर केन्द्रित वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत मे है। कर्ण महाभारत के सबसे अच्छे सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारियों में से एक थे। कर्ण के पिता का नाम सूर्यदेव और माता का नाम श्रीमती कुंती था । कर्ण को देवी राधा व श्री अधिरत ने पालन पोषण किया था। कर्ण का सबसे अच्छा मित्र दुर्योधन था लेकिन कर्ण ने अपने भाइयों ( युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन ,नकुल , सहदेव ) के खिलाफ दुर्योधन के साथ मिल कर महाभारत के युद्ध में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था और युद्ध में ही मारे गएँ ।

कर्ण के कितने भाई \बहन थे तथा उनके नाम

कर्ण के 7 भाई और बहन थे जिनका नाम युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन ,नकुल , सहदेव , सूर्यपुत्र शनि , सूर्यपुत्र यमराज , राधा का पुत्र शोण था।

कर्ण के कितने नाम थे

कर्ण के कितने नाम थे की आज तक कोई नही जान पाया लेकिन कुछ सस्त्रो के अनुसार 11 नाम मिलते है जैसे वासुसेन,दानवीर कर्ण, राधेय, सूर्यपुत्र कर्ण, सूतपुत्र कर्ण, कौंत्य कर्ण , विजयधारी , वैकर्तना, मृत्युंजय कर्ण , दिग्विजयी कर्ण, अंगराज कर्ण था।

कर्ण का वास्तविक माँ और पिता का नाम क्या था

कर्ण की वास्तविक माँ कुन्ती तथा कर्ण के वास्तविक पिता भगवान सूर्यदेव थे | कर्ण छ: पांडवों में सबसे बड़े भाई थे । कर्ण की श्रेष्ठता को स्वयं भगवान परशुराम ने स्वीकार किया था की कर्ण की वास्तविक माँ कुन्ती और पिता का नाम सूर्यदेव है |

दानवीर कर्ण का जन्म कैसे हुआ था

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दानवीर कर्ण का जन्म इत्तफाक से हुआ था। पाण्डु और कुन्ती के विवाह के पहले ही कर्ण का जन्म हुआ था। कुन्ती को मिले एक वरदान के चलते कर्ण का जन्म हुआ था। एक बार दुर्वासा ऋषि उनके पिता के महल में आये |

तब कुंती बहुत अच्छे से ऋषि की पुरे एक वर्ष तक सेवा की थी कुन्ती के सेवा से प्रसन्न होकर उन्होनें अपनी दिव्यदृष्टि से ये देखा कि पाण्डु से उसे कोई पुत्र नहीं हो सकते | तब उसे ये वरदान दिया कि वह किसी भी देवता को याद करके उनसे पुत्र उत्पन्न कर सकती है। तब कुंती ने सूर्यदेव का ध्यान किया कुंती के सामने सूर्यदेव सांति से प्रकट होकर उनके नाभि छूकर उनके गर्भ में पहुचे और अपने पुत्र को मंत्रो द्वारा स्तापिथ किया |

कुन्ती के गर्भ से ऐसा बालक उत्पन्न हुआ जो सूर्य के ही तेज़ समान का था , वह कवच और कुण्डल लेकर पैदा हुए थे | उनका कवच जनम से ही उनके सरीर में चीपका था ,लेकिन कुंती ने लोग लाज के दर से अपने पुत्र को बक्सा में रखकर गंगा नदी में बहा दिया |

कर्ण की कितनी पत्नी थी

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कर्ण की दो (2) ही बिबिया थी जिनका नाम वृषाली और सुप्रिया लेकिन वृषाली का पुत्र 3 थे | जिनका नाम वृषसेन, सुषेण तथा वृषकेत और सुप्रिया के 7 (सात ) पुत्र थे | जिनका नाम चित्रसेन, सत्यसेन, सुदामा, शत्रुंजय, द्विपाता, बनसेन, प्रसेन था ।

कर्ण और वृषाली का विवाह कैसे हुआ

कर्ण की पहली पत्नी वृषाली थीं वृशाली कर्ण से बहुत प्यार करती लेकिन कर्ण सुप्रिया से ज्यादा प्यार करते थे इस लिये वृषाली हमेशा सुप्रिया पर जलती रहती थी। वृषाली के 3 पुत्र थे जिनका नाम वृषसेन, सुषेण तथा वृषकेत और शास्त्रों में बस इतना ही वर्णन किया गया।

कर्ण और सुप्रिया का विवाह कैसे हुआ

कर्ण की दूसरी पत्नी सुप्रिया ही थी जो दुरोधन की पत्नी भानुमती की सहली थी सुप्रिया और कर्ण के बीच बहुत प्यार था सुप्रिया बहुत ही सुंदर और आदर्श पत्नी माना जाता था। सुप्रिया का पुत्र 7 (सात ) थे जिनका नाम चित्रसेन, सत्यसेन, सुदामा, शत्रुंजय, द्विपाता, बनसेन, प्रसेन था । और शास्त्रों में बस इतना ही वर्णन किया गया।

कर्ण के कितने पुत्र थे

कर्ण के कितने पुत्र थे ये बहुत कम लोग जानते लेकिन मुझे शास्त्रों में पता चला है कि उनके 10 (दस) पुत्र है जिनका नाम वृषसेन, चित्रसेन, सत्यसेन, सुषेण, सुदामा, शत्रुंजय, द्विपाता, बनसेन, प्रसेन और वृषकेतु था ।

दानवीर कर्ण का अंतिम दान क्या था

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कर्ण को एक आदर्श दानवीर माना जाता है क्योंकि कर्ण से मागने वाले को दान में कुछ भी देने से कभी भी मना नहीं किया भले ही इनके परिणामस्वरूप उनके अपने ही प्राण ही संकट में क्यों न हो । महाभारत में एक जुड़ा वाक्य है । जब भगवान इन्द्र ने अपने पुत्र कर्ण से उनके कुंडल और दिव्य कवच माँगे तो बिना हिचकिच्या अपने शरीर से दिव्या कवच को अलग करके दे दिए ।

कर्ण को एक दानवीर राजा होने के कारण भगवान कृष्ण ने कर्ण के अंतिम समय में परीक्षा ली तो कृष्ण ने कर्ण से दान माँगा तो कर्ण ने अंतिम दान में अपने चमकदार सोने के दांत को तोड़कर कृष्ण को अर्पण कर दिया । बहुत से लोग कहते है की कर्ण जिस चीज का अधिकार था वह कभी उन्हें मिला ही नहीं और कर्ण का जीवन बहुत ही कठनिया से भरा था ।

कर्ण की मृत्यु कब और कैसे हुई

कर्ण की मिरतु सीधे सीधे श्री कृष्ण जी का नाम आता है क्युकी कर्ण को हर देवताओं के द्वारा दिया गया ऐसा शस्त्र था जो उसे कोई नहीं जीत पा सकता उस शस्त्र का नाम दिव्य शस्त्र था ये शस्त्र को कर्ण ने अर्जुन के लिया बचा कर रखा था लेकिन युद्ध के बीच भीम का पुत्र घटोत्कच कौरवों की सेना पर कहर ढा रहा था । जो कौरोवो की सेना को अकेले ही ख़त्म कर सकता था | तो कर्ण ने सोचा कि मैं अपना शस्त्र इस्तमाल नही करूंगा तो कौरवों की सेना पूरे युद्ध में ख़त्म हो जाएगी | इसलिए कर्ण ने अपने दिव्य शस्त्र को घटोत्कच पर चला दिया जिससे अर्जुन बच गए और घटोत्कच मारा गया |

तभी कर्ण का रथ पीछे जा कर फस गया तब कृष्ण जी ने कर्ण को कहा की जाओ रथ के पहिये को बाहर निकाल लो तब कर्ण रथ से उतरा और पहिये को उठाने लगा तब ही कृष्ण जी ने चालाकी की और अर्जुन से कहा कर्ण अपने शस्त्र को घटोत्कच पर समाप्त कर चूका है अब कोई खतरा नही अब तुम कर्ण को मार सकते हो फिर कृष्ण जी की बात सुनकर अर्जुन ने अपना शस्त्र चलाया दिया और कर्ण की मौत हो गई इस तरह अर्जुन ने कर्ण का वध किया । कर्ण का वध महाभारत युद्ध के 17 वे दिन हुआ।

कर्ण का अंतिम संस्कार कहां किया गया था तथा कर्ण का अंतिम संस्कार किसने किया था

कर्ण ने मृत्यु से पहले ही भगवान कृष्ण से वचन लिया था की उसका दाह संस्कार वही सक्स करेगा जिसने कभी कोई पाप नहीं किया हो और उसका दाह संस्कार उस जमीन पर होगा जहाँ किसी का दाह संस्कार ना हुआ हो तब भगवान कृष्ण ने पूरी पृथ्वी खोजने के बाद सूरत शहर में ताप्ती नदी के किनारे बराछा इलाके में 1 इंच जमीन मिली जहाँ किसी का भी दाह संस्कार नहीं हुआ था उसके बाद भगवान कृष्ण ने 1 तीर पर कर्ण के शव को रखकर कर्ण का दाह संस्कार किया |

कर्ण ने किसका अपहरण किया था

कर्ण एक बार दुर्योधन के पास कुछ बाते पूछने आया था तब दुरोधान अपने महल में नही थे तब दुर्योधन की पत्नी भानुमति ने कहा कर्ण से चलिए एक संतरंज खेलते है । तब संतरांज में भानुमती हार रही थी । तब भानुमती ने दुरिधान को आते देखा खड़ी हो गयी लेकिन कर्ण नही जानते थे की दुर्योधन आ गया है कर्ण ने सोचा भानुमती हार के कारण उठ गई तो कर्ण ने उनका हाथ पकर कर बैठाना चाहा तो उनका माला पकड़ा गया और उनका माला टूट गया तब कर्ण ने दुरोधन को देखा तब कर्ण डर गया की कही दुर्योधन कुछ गलत न समझ ले लेकिन दुर्योधन को कर्ण पर बहुत भरोसा था । इस भरोसा के चलते कर्ण ने भानुमती का अपहरण करते करते बच गया । कई लोग कहते है की कर्ण की पत्नी का अपहरण कैसे हुआ लेकिन सच बात तो ये है की कर्ण की पत्नी का कभी अपहरण ही नहीं हुआ।

कर्ण की प्रेमिका कौन थी

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कर्ण की प्रेम कहानी में सबसे अधिक चर्चा द्रौपदी से प्रेम की होती है। लेकिन, कही भी शास्त्रों में इस बात का ज़िक्र नहीं है कि कर्ण और द्रौपदी आपस में प्रेम करते थे और कर्ण की कोई प्रिमका है या नहीं ये कोई नहीं जानता है।

कर्ण के पुत्र का वध किसने किया तथा कर्ण का कौन सा पुत्र कुरुक्षेत्र में जीवित बचा था।

कर्ण के पुत्र का वध महाभारत युद्ध में ही हुआ था जब कर्ण अर्जुन से युद्ध कर रहा था तब कर्ण के 10 दसों पुत्र भी थे जो युद्ध में लड़ रहे थे तब युद्ध में अर्जुन ने कर्ण के 4 पुत्रो को मारा था जिनका नाम सुदामा, वृषसेन, शत्रुंजय और द्विपाता थे और उसी में नकुल ने कर्ण के और 3 पुत्रो को मारा जिनका नाम चित्रसेन, सुषेण और सत्यसेन था और स्त्याकी ने कर्ण के 1 पुत्र को मारा जिसका नाम प्रसेन था ऐसा करते करते ही कर्ण के 9 पुत्रो का वध हो गया सिर्फ 1 पुत्र कुरुक्षेत्र में जीवित बचा जो कर्ण के सबसे छोटे पुत्र वृशकेतु थे |

जानिए अर्जुन की कितनी पत्नियां थी तथा अर्जुन के कितने पुत्र थे

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